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पुराने खतों में ...

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पुराने खतों में... पुराने खतों में तेरी मजबूरी के अल्फाज़ देखता हूँ, मेरी ज़ुल्मों की दास्ताँ बयान करते पन्नों में तेरी आंसूवों के दाग देखता हूँ। मैं पलट सकता वक़्त को तो शायद हमारी कहानी किसी और तरह लिखता, बहुत दूर निकल आया हूँ सफर में, तब भी कभी कभी तेरे ख्वाब देखता हूँ। वाकिफ़ हूँ इस बात से की अब उन यादों का कोई मोल नहीं रहा, मेरे संगीन ज़ुल्मों को तू माफ़ करे ऐसा मैं बोल नहीं रहा। वैसे गलतियाँ तो तुझसे बिछड़ने के बाद भी हुई मुझसे कई बार, मैं सोचता हूँ की मेरे अच्छे और बुरे कर्म क्यूँ कोई तोल नहीं रहा। मैं नास्तिक हूँ वैसे तो जन्नत और जहन्नुम को मानता नहीं, पर अगर वह है भी तो मेरे हिस्से में क्या आएगा मैं जानता नहीं। तेरे बद्दुआओं का हकदार तो में हमेशा से ही था लेकिन, कभी कभी आईने में जिस शख़्स को देखता हूँ, उसे में पहचानता नहीं।   सोचता हूँ तेरे बाद के फैसले इतने नापाक थे कैसे, हाथ पकड़ के संभाला था तूने, मेरे बेअंग जीवन की तू बैसाखी थी जैसे। तुझसे जुदा राहों में खुशियों ने दामन ऐसे छुड़ाया, मेरे ज़िंदगी की किताब कोई और लिख रहा हो जैसे। 

मैं अपने कहानी का मुख्य किरदार

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  हर कोई अपने love story को ultimate और epic समझता है Breakup का शायद यही side effect है। पर कौन बताए इस आशिक़ को, कौन समझाए ये बात, की काफी humdrum , run of the mill कहानी थी तुम्हारी। ना love at first sight था, ना कोई आसमानी connection , बस दो टूटे हुए शख्स मिले थे एक दूसरे का सहारा बनने को।   जितने मौसम साथ गुज़ारे, थे बड़े ही यादगार, वो milkshake वाली शामे, वो कहानियों से भरी दोपहरियाँ, वो रातों को छुप छुप कर landline से किए हुए calls , वो पहला kiss , वो पहला scented un - named love letter , और वो future वाले plans जो बना रहे थे हम दो बेवकूफ future से अनजान।   दोष किताबों का है साहब, Iliad और Odyssey पढ़ते पढ़ते, हम भी सोचने लगे की story epic है हमारी, हमने भी बचपन में गरीबी देखी है और दुख भी, Rags to riches हमारी कहानी को भी बोल सकते हो। इस गलतफहमी के साथ अपने life  को approach करते रहे, पर वो छूटा तो पहली बार एहसास हुआ की शायद इतना special भी कुछ था नहीं। ना ही हमारे प्यार में और ना हमारे ज़िंदगी में।   दोष फिल्मों का भी है साहब, उन में h