मैं अपने कहानी का मुख्य किरदार

 

हर कोई अपने love story को ultimate और epic समझता है

Breakup का शायद यही side effect है।

पर कौन बताए इस आशिक़ को, कौन समझाए ये बात,

की काफी humdrum, run of the mill कहानी थी तुम्हारी।

ना love at first sight था, ना कोई आसमानी connection,

बस दो टूटे हुए शख्स मिले थे एक दूसरे का सहारा बनने को।

 

जितने मौसम साथ गुज़ारे, थे बड़े ही यादगार,

वो milkshake वाली शामे, वो कहानियों से भरी दोपहरियाँ,

वो रातों को छुप छुप कर landline से किए हुए calls,

वो पहला kiss, वो पहला scented un-named love letter,

और वो future वाले plans जो बना रहे थे हम दो बेवकूफ future से अनजान।

 

दोष किताबों का है साहब, Iliad और Odyssey पढ़ते पढ़ते,

हम भी सोचने लगे की story epic है हमारी,

हमने भी बचपन में गरीबी देखी है और दुख भी,

Rags to riches हमारी कहानी को भी बोल सकते हो।

इस गलतफहमी के साथ अपने life  को approach करते रहे,

पर वो छूटा तो पहली बार एहसास हुआ की शायद इतना special भी कुछ था नहीं।

ना ही हमारे प्यार में और ना हमारे ज़िंदगी में।

 

दोष फिल्मों का भी है साहब, उन में hero होतें हैं और villain भी,

हमने भी मान लिया उसे अपने ज़िंदगी का खलनायक,

एक साल भर तो हर बात का blame उसी पर डाल दिया,

जितना एक वक़्त में प्यार किया, एक आध किलो उससे ज्यादा ही की नफ़रत,

Victim समझा खुदको और रोये भी कई बार – उसी बीच हो गया दूसरी तीसरी बार प्यार।

जब दूसरा साल आया तो आँखों से गुस्से का पर्दा हटा,

फिर लगा शायद हमने भी सही handle किया नहीं था चीजों को।

 

दोष शीशे का भी है साहब – अक्स दिखाती है चेहरे का पर वजूद का नहीं,

आईने में बस प्रतिबिंब देखी अपनी और दिल में झांकना भूल गए।

कई साल गुजर गए ऐसे ही आवारगी में – कई और कहानियों का हिस्सा भी बने,

पर उस पहली वाली कहानी को अपने ही मन में legend बनाने लगे थे फिर एक बार,

इतना की जब एक दिन उसका phone आया तो सांस ही लेना भूल गए इक पल के लिए,

उसकी आवाज इतने सालों बाद धड़कनें तेज़ भी कर रही थी और धीमे भी।

 

उस अचानक से आए call को भी अपने legendary कहानी का इक पन्ना मान लिया,

वो थी east में और हम थे west – सोचा सारी बड़ी love stories में दूरियाँ तो होती ही हैं,

अजी दोष मेरे अन्दर के writer का भी है साहब, क्योंकि सच तो यह था की वो call random था नहीं,

हमने ही कुछ हफ्तों पहले Facebook पे DM किया था उन्हें अपना नंबर,

पर क्यूँकी उम्मीद नहीं थी उनके call की, उस बात को हम फिर भूल गए,

और बाद में narrative से उसे omit भी कर दिया optics के लिए।

 

दोष fairytales का भी है साहब जो happily ever after का वादा करती हैं,

असल ज़िंदगी में happy endings की गुंजाइश होती ही कहाँ है।

क्यूँकी जब वो call आया तो हमारे पास बैठी थी हमारी live-in girlfriend,

ये वो मुहतरमा थी जिसे हम पहली वाली से breakup के चार महीने से पहले ही date कर रहे थे,

पर जब उन्होंने confess किया की वो date करने लागि थी किसी और को दस महीने पहले,

तब ‘holier-than-thou’ बनके हमने उनके relationship को sabotage करने की भी कोशिश की।

 

दोष वैसे anti hero trope का भी है साहाब – gray characters को glorify कर देते हैं,

तभी तो हमने अपनी सारी गलत हरकतों को, खुद को anti-hero मान के justify कर लिया,

उन हे तो खलनाईका बना दिया था पहले ही, अब खुदको negative character बनाकर,

हम फिर से सोचने लगे की शायद हम ‘made-for-each-other’ हैं। खुद से कहा की –

हमारी राहे शायद आगे एक दूसरे से टकराएंगी – ये कुदरत का रचा खेल है।

पर अब तक की कविता से यह तो clear हो ही गया होगा की ऐसा हुआ नहीं कभी।

 

हम और कहानियाँ रचते गए – और भी प्रेमिकाएँ आई और गई,

धोखे खाए भी और दिए भी हमने – पर उस पहली कहानी को ज़हन से जाने नहीं दिया।

उस कहानी को बैसाखी बना लिया था – वही थी हमारी story of redemption,

क्योंकि इस point तक हम अपने ही नज़रों से गिर चुके थे,

बस अब वो story, वो hope of true love ही हमे अपने इनसानियत का एहसास दिलाते थे।

Decency और morals को कब का पीछे छोड़ आए थे हम – जितना बुरा बन सकते थे हम बन चुके थे।

 

उन से फिर कई बार बातें भी हुई, दिल का हाल भी सुनाया उन्हें,

पता नहीं उन्हें विश्वास हुआ या नहीं मेरी बातों पर – पता नहीं हम सच बोल रहे थे या कहानी बना रहे थे,

असल में उस वक़्त तक वो भी बदल चुके थे और हम भी,

बस दो टूटे हुए शख्स अपने पुराने कहानियाँ याद कर रहे थे मिलकर,

वो phone calls nostalgia के अलावा कुछ भी और induce नहीं कर पाई,

Grasping at straws” बोल लीजिए – English language का भी दोष है शायद।

 

आज इस कविता को पढ़ते वक़्त – उनका चेहरा भ भूल चुके हैं और आवाज भी,

वो सच में हमारी अतीत का एक खोया हुआ पन्ना बन गए आखिराश।

कभी social media में उनका profile दिख जाता है तो लगता है किसी अजनबी को देख रहे हैं,

बस इतनी ही अहमियत रह गई बचपन के प्यार की जिसे हम अपना वजूद माना करते थे।

इन सालों में उस पहले वाले प्यार के अलावा और भी चीजें खोई हैं हमने,

जैसे की ये वहम की कोई epic कहानी है और हम उसके मुख्य किरदार।

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